Sunday, February 7, 2010

जहां संत पहुंच जाते हैं वहां कुंभ हो जाता है

संतों ने कहा- धर्म-धानी बनता जा रहा है छत्तीसगढ़

राजिम, 6 जनवरी। जहां संत पहुंच जाते हैं वहां उनकी वाणी का अमृत छलकने लगता है। जहां अमृत छलकता है वहां कुंभ होता है। यह बात संत समागम के शुभारंभ के अवसर पर स्वामी प्रज्ञानंद महाराज ने कही। इस मौके पर उपस्थित सभी संतों ने राजिम मेले के कुंभ स्वरूप का अनुमोदन किया और राज्य की निरंतर प्रगति की कामना की। स्वामी प्रज्ञानंद महाराज ने कहा कि आजकल धर्म और काम प्रधान पुरुषार्थ का प्रभाव बढ़ रहा है। काम धर्ममय होना चाहिए। छत्तीसगढ़ इस दिशा में बढ़ रहा है। वह धर्मधानी बनता जा रहा है। माटुंगा से आए संत शंकरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों की शरण में जाए बगैर सुख नहीं मिलता। यहां तो देश के लगभग हर प्रांत से संत आए हुए हैं। उन्होंने राजिम कुंभ की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। विवेकानंद आश्रम रायपुर के स्वामी सत्यस्वरूपानंद ने कहा कि धर्म ही भारत का मेरुदंड है। विदेशी आक्रमणों के बीच धर्म बचा रहा क्योंकि अनंत संतों की श्रंृखला इस देश में रही। उन्होंने कहा-आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा। उन्होंने कामना की कि संत समागम धर्मजागरण में उपयोगी हो सकेगा। चंपारण्य में प्रवचन कर रहे जागेश्वर महाराज ने कहा कि संस्कृति आचरण में उतारने की चीज है। दवा की चर्चा से बीमारी दूर नहीं होती। उन्होंने कहा कि अपना आचरण ठीक करने के लिए अधिक कुछ नहीं लगता। सुबह जल्दी उठने में खर्च नहीं होता। माता पिता के चरण छूने के लिए पीएचडी करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज लोग राम राम बोलना देहातीपन समझते हैं। यह दुर्भाग्य है। उन्होंने इस बात पर दुख प्रकट किया कि छत्तीसगढ़ में बहुत से युवा नशे की गिरफ्त में हैं। उन्होंने कहा कि धर्म अमृत है। यहां से अपना घड़ा भरकर ले जाएं। इसके लिए हृदय रूपी पात्र को शुद्ध करने की जरूरत है। संत समागम में उपस्थित न हो सके द्वारका पीठाधीश्वर स्वरूपानंद सरस्वती जी का संदेश मंच से पढ़कर सुनाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा का ऐसा संरक्षण अनुकरणीय है। पाटेश्वरधाम के बालकदास महात्यागी महाराज ने गोमाता की रक्षा का आह्वान किया। उन्होंने नक्सलवाद के समाधान के लिए संतों से शहर छोड़कर जंगलों की ओर जाने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि जंगलों में संतों के आश्रम खुलेंगे तो वनवासियों के भीतर का अध्यात्म जागेगा। एक बेहतर छत्तीसगढ़ का निर्माण होगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ में आज भी मौजूद जात पांत व छुआछूत पर चोट की और बताया कि पाटेश्वर धाम में बन रहे मंदिर में सभी धर्म-पंथों के देवी देवता महापुरुष एक साथ उपस्थित होंगे। कबीरपंथ के असंगजी साहेब ने कहा कि मनुष्य जब संभलता है तो धरती को स्वर्ग बना देता है। मनुष्य को संभालने के लिए राजिम कुंभ का आयोजन किया गया है। यह छत्तीसगढ़ के सुधार का कुुंभ है। हमारे आपके कल्याण का कुंभ है। इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि लोग मांस-मछली, शराब, पुडिय़ा सब संतों के चरणों में समर्पित कर इनसे दूर रहने का संकल्प लें।

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