Tuesday, March 23, 2010

एक तितली, कई बातें


आज आंगन में कपड़े धोने के लिए पानी भरते समय यह तितली दिखी। वह धुले हुए फर्श पर बैठी थी। तितलियां अमूमन फूलों पर बैठती हैं। हमारी कंपाउंड वॉल से लगी झाडिय़ों में ढेर सारे फूल थे। शायद तितली को पता था कि मेरे पास कैमरा है। या फिर शायद यह वही तितली हो जिसकी तस्वीरें मैंने कुछ रोज कंपाउंड वॉल पर खींची थीं। यह तितली कंप्यूटर पर लोड हुई तो मैंने देखा कि इसके पंख बुरी तरह कटे फटे हैं। मेरा खयाल है ये पंख ऐसे तो नहीं होते होंगे? फिर भी तितली उड़ रही थी। मुझे लगा कि ये कोई फाइटर तितली है। खराब मौसम से, शिकारियों से लड़ रही है। मुझे लगा कि वह किसी परीलोक से मुझे अपनी तकलीफें बताने के लिए आई है। या फिर मुझे हौसला देने के लिए कि ऐसे टूटे फूटे पंखों से भी उड़ा जा सकता है। मुझे रंगीन पंखों वाली तितलियों से यह फाइटर तितली अधिक दिलचस्प लगी। मुझे लगा कि ये मेरी दोस्त बनने के लायक है।
इस तितली ने मेरी उत्सुकता बढ़ाई कि मैं तितलियों के बारे में कुछ जानूं। मैंने पाया कि तितलियों के बारे में मैं लगभग कुछ नहीं जानता, जैसा कि आसपास की ज्यादातर चीजों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता। दुनिया में तितलियों की पंद्रह बीस लाख किस्में हैं। हजारों बरस से लोग इसकी खूबसूरती का इस्तेमाल कलाकृतियों में कर रहे हैं। इस पर दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इंटरनेट पर सर्च करते हुए तितलियों के बारे में कई दिलचस्प बातें पता चलीं। इनका जीवन एक हफ्ते से लेकर एक साल का होता है। अंडे से तितली बनने की चार अवस्थाएं होती हैं। इनके अंडे एक खास गोंद के जरिए पेड़ से चिपके रहते हैं। इनके लार्वा यानी इल्लियां अपना ज्यादातर समय पेट भरने में बिताती हैं। फिर प्यूपा अवस्था में यह जगह ढूंढती है और यह जगह अक्सर पत्तियों के नीचे होती है। यहां प्यूपा से तितली बनती है। कीट पतंगों में इस तरह के बदलाव को मेटामॉरफोसिस कहा जाता है। मेटामॉरफोसिस शब्द का इस्तेमाल मैंने पहली बार चट्टानों के सिलसिले में पढ़ा था। तितलियों की इल्लियां पत्तियां खाते वक्त शहद जैसा मीठी चीज बनाती हैं। इसे हनी ड्यू कहा जाता है। यह चींटियों के काम आता है। चींटियों की मौजूदगी इल्लियों को लेडी बीटल जैसे दुश्मनों से बचाती है। यह जानकारी बताती है कि कुदरत ने छोटी छोटी चीजों के कैसे इंतजाम कर रखे हैं। और हर चीज से कितना कुछ सीखा जा सकता है।
तितलियां पराग कणों को एक से दूसरे फूलों तक ले जाकर वनस्पति जगत का एक जरूरी काम करती हैं। हालांकि यह काम सिर्फ तितलियां नहीं करतीं। ज्यादातर तितलियां फूलों से अपना आहार लेती हैं। इसकी कुछ इल्लियां कुछ कीड़ों को भी खा लेती हैं। तितलियों की कुछ प्रजातियां सड़े हुए मांस, फल, गोबर या गीली रेत की नमी से भी पेट भर लेती हैं। यह अपने दो एंटीना की मदद से गंध पाती हैं और इन्हें फूलों का पता चल जाता है। तितलियों की कुछ प्रजातियां लंबी दूरी तय करने के लिए जानी जाती हैं। जैसे मोनार्क तितलियां मेक्सिको से उत्तरी अमरीका या दक्षिणी कनाडा तक 4000 से 4800 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं।
कलाकारों को तितलियां बहुत आकर्षित करती हैं। कई कलाकार तितली को आत्मा के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसे फ्रेम करके, लेमिनेट करके, रेजिन से मढ़कर और कई दूसरे तरीकों से कलाकृतियां बनाई जाती हैं।
शायरों ने तितलियों को लेकर बहुत लिखा है। मुझे तीन शेर याद आ रहे हैं-


नसीबों में लिखी जिनके लिए तनहाइयां होंगीं.
गुलाबों के नगर में ऐसी भी कुछ तितलियां होंगीं।
-वाली आसी


गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आंधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा
-कैफ भोपाली


जश्न था बहारों का और अहले गुलशन ने
गुलसितां सजाने को तितलियों के पर काटे
-मुकीम भारती

मुझे लगता है सुबह मेरे आंगन में बैठी तितली, ऐसे ही किसी जश्न से बचकर भागी हुई थी।


1 comment:

bilaspur property market said...

"एक तितली, कई बातें"
हमको भी नही पता था जानकारी देने के लिए धन्यवाद