Monday, March 24, 2008

आज का दिन

आज का दिन घटनाप्रधान रहा। कुछ रोज पहले इस्तीफा देकर गया दोस्त आज लौट आया। जब वह जा रहा था तो मैने उसे रोकने की बहुत ज्यादा कोशिश नहीं की थी। मैं खुद नहीं जानता कि उसका यहां रहना उसके लिए कितना ठीक था। उसे दो चार दिन दूसरे प्रेस में काम करके लगा कि वहां रहना कठिन है। वजह जो भी रही हो। वह लौट आया है।
आज दो नए लोगों ने प्रेस ज्वाइन किया है। एक फोटोग्राफर है। थोड़ा बहुत समाचार भी बना लेता है। उससे उम्मीद है कि अच्छा काम करेगा। दूसरा पिछले प्रेस में मेरे साथ काम कर चुका एक दोस्त है। बहुत सरल स्वभाव का है। बहुत क्रिएटिव। बहुत हंसमुख। काम करने को हरदम तैयार। पारिवारिक विषमताओं के बीच भी मुस्कुराने के मौके नहीं चूकता। ऐसे लोगों के लिए ईश्वर से दुआ मांगने का मन करता है कि उनकी मुस्कुराहट को बरकरार रखे।
आज कुछ मित्रों ने यह अखबार ज्वाइन करने में हिचक दिखाई। उनकी हिचक जायज है। नया अखबार है। मैं प्रदेश की राजधानी में, घुटे हुए लोगों के बीच, एक अखबार को निरंतर आगे बढ़ाने की क्षमता नहीं रखता। मैं किसी दावे के साथ नहीं, एक उम्मीद के साथ काम कर रहा हूं। जिन्होंने हिचक दिखाई उन्हें अपने बारे में तय करने का पूरा हक है।
आज मैं घर में अकेला था। नाश्ता खुद बनाया। दिन में खाना खाने का मौका नहीं लगा। दोस्त से कुछ समोसे मंगवाकर खा लिए। जेब में पैसे नहीं हैं। होली मनाकर घर से लौटते वक्त बारिश होने लगी थी सो एक बरसाती खरीद ली थी। उसी में पैसे खर्च हो गए।
आज दो विज्ञापन डिजाइन करवाए। इसके होर्डिंग बनेंगे।
तो ये था आज का मुख्तसर सा किस्सा। अब आप यह मत पूछने लगिए कि इसका घटनाप्रधान वाला हिस्सा कब आएगा।

2 comments:

Samrendra Sharma said...

मैं कमेंट लिखने के लिए भले ही कह दूं कि आपके ब्लाग लिखने से खुशी हुई, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। दरअसल मैंने जिस दिन ब्लाग बनाया था। उस दिन एक लिस्ट तैयार की थी, ताकि इसके बारे में उन्हें बता सकूं। मैंने यह भी तय किया था कि उसमें मेहमान का पन्ना होगा और उसके लेखक आप होंगे। कई बार आप से इस विषय पर चर्चा का करने का विचार आया, लेकिन ठीक से बात नहीं हो पाई। इसमें पूरी गलती मेरी है। एक दफ़े बबलू के साथ आपसे मुलाकात में इस सबंध में जिक्र हुआ था, लेकिन मजा नही आया । खैर आखिर में इस अफसोस के साथ कि आप मेरे मेहमान नहीं बन पाए, ब्लाग शुरू करने पर बधाई। फिर एक भी रिक्वेस्ट कि ऐसी सामग्री जो आपके ब्लाग न पहुंच पाए उसे मुझे जरूर भेजें। इसमें मेरा स्वार्थ यह था(या है) कि आपको पढ़ने के बहाने मेरे ब्लाग को पाठक मिल जाएंगे। आप अनुमति दें, तो आपके ब्लाग के बारे अपने मे चार लाइन लिखूं।

Sanjeet Tripathi said...

जनाब, आपका ब्लॉग देखकर मुझसे उपर वाले इस गधे को खुशी हुई हो न हो पर मुझे हुई है।
लेकिन आपने यहां लिखना क्यों बंद कर दिया है?
कृपया व्यस्त समय में से समय चुराकर लिखें।